


कुछ हादसे ऐसी निशानियां छोड़ जाते हैं जिनकी कहानियां कभी पीछा नहीं छोड़तीं. अहमदाबाद विमान हादसे की परछाईं जल्द मिटने वाली नहीं. चीख, पुकार, सिसकियां, आंसू और मौत का मंज़र- भूलना नामुमकिन है. हर मौत एक कहानी. इतिहास में ऐसे कई दिल दहला देने वाले हादसे हुए हैं. यकीनन ये हादसे जख्म कुरेदते हैं. उन्हीं में एक कहानी भारतीय फिल्म जगत की मशहूर अभिनेत्री जुबैदा बेगम की भी है. चालीस के दशक में जुबैदा बेगम एक ऐसी अदाकारा थी, जिसके साहस और सौंदर्य इतिहास की इबारत हैं. उनका निधन भी एक खतरनाक विमान हादसे में हो गया था. जिसकी चर्चा सालों बाद आज भी की जाती है.
इस हादसे पर भी कई सवाल उठे हैं. क्या वह हादसा था या कि कोई साजिश? अमूमन हर हादसा यही सवाल छोड़ जाता है. उस हादसे में जु़बैदा बेगम के पति, जोकि जोधपुर के महाराजा थे, वो भी मारे गए थे. एक कहानी जो पूरी होने से पहले की खत्म हो गई और कई सवालों को जन्म दे गईं. वह सवाल आज भी रहस्य का साया बनकर अक्सर जेहन में कौंध जाता है. आखिर उस दिन विमान में क्या-क्या हुआ था. यहां तक कि जोधपुर के महल में एक भटकती आत्मा के बारे में भी कहानी सुनी सुनाई गईं.
पहली बोलती फिल्म आलम आरा में काम था किया
गौरतलब है कि ज़ुबैदा बेगम हिंदी फिल्मों की अभिनेत्री थीं, उन्होंने हिंदी की कई फिल्मों में काम किया था. वह मूक फिल्मों के दौर में भी अभिनय करती थीं, रोल छोटे हों या बड़े- वह उसे पूरी शिद्दत से निभाती. लेकिन फिल्मी लाइफ के अलावा भी उसकी पर्सनल लाइफ थी. जिसके बारे में घर में हर किसी को नहीं मालूम था. यहां तक कि उसका अभिनय प्रेम उसके पिता को भी नहीं मालूम था. बल्कि वह तो फिल्मों में काम करने के सख्त खिलाफ थे. तमाम विरोध के बावजूद ज़ुबैदा बेगम अपनी जुस्तजू और जज्बात के लिए स्पेस बना ही लेती थी. यही उसकी पर्सनाल्टी की सबसे बड़ी खासियत थी.